Contractual Employees Salary Hike – देशभर में संविदा कर्मचारी लंबे समय से अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं। चाहे बात मानदेय बढ़ाने की हो या नौकरी को स्थायी बनाने की, ये कर्मचारी हर सरकार से उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं। कई बार उनकी मांगों को नज़रअंदाज़ किया गया, तो कभी छोटे-मोटे बदलाव से उन्हें बहलाने की कोशिश की गई। लेकिन हकीकत यही है कि संविदा कर्मियों ने वर्षों तक बेहद कम वेतन पर काम किया और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाया।
अब आखिरकार बिहार सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए संविदा कर्मियों, खासतौर पर विद्यालयों में तैनात रात्रि प्रहरियों को राहत देने का फैसला किया है। लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन और मांगों के बाद सरकार ने उनके मानदेय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है।
मानदेय में अभूतपूर्व बढ़ोतरी
शिक्षा विभाग ने 12 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसके तहत अब माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में तैनात रात्रि प्रहरियों को हर महीने 10 हजार रुपये मानदेय मिलेगा। पहले ये कर्मचारी केवल 1500 रुपये प्रतिमाह पाते थे। साल 2018 में इसे बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया था, लेकिन तब भी यह उनकी मेहनत और जिम्मेदारी के हिसाब से बहुत कम था।
अब सरकार ने तीसरी बार मानदेय में बदलाव करते हुए सीधे 5000 से 10000 रुपये कर दिया है। यह फैसला 1 अगस्त 2025 से लागू हो गया है। इस बढ़ोतरी से हजारों परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और कर्मचारियों के मन में सुरक्षा और स्थिरता की भावना भी पैदा होगी।
क्यों जरूरी था यह कदम
रात्रि प्रहरियों की जिम्मेदारी छोटी नहीं होती। उन्हें स्कूलों में मौजूद प्रयोगशालाओं, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय और खेल सामग्री जैसी महंगी चीजों की सुरक्षा करनी होती है। रातभर जागकर अपनी ड्यूटी निभाना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन जब मेहनत के बदले सिर्फ 1500 या 5000 रुपये जैसी मामूली रकम मिले, तो किसी भी इंसान का उत्साह टूटना लाज़मी है।
सरकार ने भी महसूस किया कि अगर कर्मचारियों को उचित मानदेय दिया जाए, तो वे और ज़्यादा ईमानदारी और लगन से काम करेंगे। इसी सोच के साथ मानदेय को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया।
संविदा कर्मियों में खुशी की लहर
जैसे ही इस फैसले की घोषणा हुई, रात्रि प्रहरियों और उनके परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई। वर्षों तक संघर्ष और इंतज़ार करने के बाद जब उन्हें यह बड़ी राहत मिली, तो उनके चेहरे खिल उठे। कई कर्मचारियों का कहना है कि यह कदम उनके जीवन में नई उम्मीद लेकर आया है।
अब वे अपने बच्चों की पढ़ाई, घर की जरूरतों और अन्य खर्चों को बेहतर ढंग से संभाल पाएंगे। साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ेगा कि उनकी मेहनत और संघर्ष बेकार नहीं गए।
आंदोलन का असर और सरकार की पहल
संविदा कर्मचारी लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे। कई बार धरना-प्रदर्शन किए गए, तो कभी ज्ञापन सौंपा गया। सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता गया कि इन कर्मचारियों की मांगें जायज़ हैं।
आखिरकार सरकार ने यह मान लिया कि संविदा कर्मचारी भी शिक्षा व्यवस्था का अहम हिस्सा हैं और उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। यह फैसला न सिर्फ रात्रि प्रहरियों बल्कि सभी संविदा कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि सरकार अब उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुन रही है।
आगे की उम्मीदें
हालांकि मानदेय बढ़ाना एक बड़ा कदम है, लेकिन संविदा कर्मचारी अब भी अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब वे स्थायी कर्मचारियों की तरह काम करते हैं और जिम्मेदारियां निभाते हैं, तो उन्हें भी स्थायी नौकरी और अन्य सुविधाओं का अधिकार होना चाहिए।
सरकार का यह निर्णय जरूर सराहनीय है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। आने वाले समय में अगर संविदा कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति और अन्य भत्तों का लाभ मिलता है, तो उनका जीवन और सुरक्षित हो जाएगा।
बिहार सरकार का यह फैसला संविदा कर्मियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। 1500 रुपये से शुरू हुआ यह सफर अब 10 हजार रुपये तक पहुंच गया है। यह बदलाव न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने वाला है बल्कि उन्हें यह विश्वास भी दिलाता है कि उनकी मेहनत और संघर्ष को सरकार ने आखिरकार स्वीकार किया।
अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में सरकार अन्य संविदा कर्मचारियों के लिए क्या कदम उठाती है। फिलहाल, यह खुशखबरी उन हजारों रात्रि प्रहरियों और उनके परिवारों के लिए नई रोशनी बनकर आई है, जो लंबे समय से अपने जीवन में स्थिरता और सम्मान की तलाश कर रहे थे।