8th Pay Commission – सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए 8वां वेतन आयोग लगातार चर्चा में बना हुआ है। ताज़ा अपडेट यह है कि इस आयोग के लागू होने में देरी की वजह से अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है। प्राइवेट थिंक टैंक क्वांटइको रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि अगर वेतन आयोग को लागू करने में और देरी हुई, तो आने वाले सालों में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं। यानी इसका असर केवल कर्मचारियों की जेब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर दिखेगा।
देरी का असर अर्थव्यवस्था पर
रिपोर्ट के मुताबिक 8वें वेतन आयोग की घोषणा समय पर न होने से आर्थिक विकास और महंगाई के बीच का संतुलन बिगड़ सकता है। पहले अनुमान था कि यह वेतन संशोधन 2026 से लागू हो जाएगा, लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसमें कम से कम एक साल की देरी हो रही है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों और पेंशनधारकों को थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ेगा। हालांकि जब यह लागू होगा, तो कर्मचारियों को एकमुश्त एरियर का भुगतान किया जाएगा।
कर्मचारियों की जेब में आएगा ज्यादा पैसा
अब बात करें कर्मचारियों और पेंशनधारकों के फायदे की। रिपोर्ट के अनुसार जब वेतन आयोग लागू होगा, तो कर्मचारियों को पहले से कहीं ज्यादा पैसा मिलने लगेगा। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जबकि 8वें वेतन आयोग में यह करीब 2 रहने का अनुमान है। इसका सीधा मतलब है कि न्यूनतम वेतन जो अभी 18,000 रुपये है, वह बढ़कर 35,000 से 37,000 रुपये तक जा सकता है।
यानी जिन कर्मचारियों की सैलरी अभी कम है, उन्हें भी बड़ा फायदा मिलेगा। लाखों पेंशनधारकों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि उनकी पेंशन में भी बढ़ोतरी होगी। कुल मिलाकर सरकार को वेतन और पेंशन बढ़ाने में लगभग 2 से ढाई लाख करोड़ रुपये का खर्च करना पड़ेगा, जो सातवें वेतन आयोग के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है।
महंगाई और मांग दोनों बढ़ेंगी
एकमुश्त एरियर मिलने के बाद कर्मचारियों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इसका असर बाजार में भी दिखेगा। खासकर कोर महंगाई यानी खाने-पीने और ईंधन को छोड़कर बाकी चीजों की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। जब लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आता है, तो उनकी मांग भी बढ़ जाती है। इससे मकान का किराया, सेवाओं की कीमत और बाकी चीजें भी महंगी हो सकती हैं।
सरकार के लिए चुनौती
अब सवाल यह है कि सरकार इस बड़े खर्च को कैसे संभालेगी। क्वांटइको रिसर्च की रिपोर्ट कहती है कि सरकार को इस खर्च को पूरा करने के लिए नए वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे। इसमें जीएसटी सुधार का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट का कहना है कि 2026 की चौथी तिमाही तक उपकर मुआवजा खत्म हो जाएगा, ऐसे में सरकार के पास टैक्स सिस्टम को सुधारने का सुनहरा मौका है।
अगर सरकार इस मौके का फायदा उठाती है, तो न केवल वेतन आयोग का खर्च आसानी से पूरा किया जा सकेगा बल्कि आने वाले समय में आर्थिक स्थिरता भी बनी रहेगी।
जीडीपी और खपत पर असर
रिपोर्ट के मुताबिक जब कर्मचारियों को ज्यादा वेतन और पेंशन मिलेगी, तो उनकी खपत यानी खर्च करने की क्षमता बढ़ जाएगी। इसका असर प्राइवेट फाइनल कंजप्शन एक्सपेंडिचर पर पड़ेगा। अनुमान है कि हर साल इसमें 65 से 80 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होगी। जीडीपी ग्रोथ पर भी इसका 40 से 50 बेसिस प्वाइंट का असर पड़ेगा। यानी कुल मिलाकर यह कदम अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक भी साबित हो सकता है।
कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ीं
कर्मचारी और पेंशनधारक लंबे समय से 8वें वेतन आयोग का इंतजार कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी उम्मीद यह है कि महंगाई के हिसाब से उनकी सैलरी और पेंशन में सुधार हो। बढ़ती हुई महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च ने लोगों की जेब पर दबाव डाला है। ऐसे में अगर न्यूनतम वेतन 35 से 37 हजार रुपये तक पहुंचता है, तो कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा।
साफ है कि 8वें वेतन आयोग का असर केवल कर्मचारियों और पेंशनधारकों तक सीमित नहीं है। यह भारत की पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। जहां एक तरफ कर्मचारियों को ज्यादा पैसा मिलेगा और उनकी जिंदगी आसान होगी, वहीं दूसरी तरफ सरकार के सामने इसे मैनेज करने की चुनौती भी होगी।
कुल मिलाकर यह आयोग लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर सरकार इसे कब लागू करती है और कर्मचारियों की झोली में खुशियों की बरसात कब होती है।